⬜♦️⬜मौसम⬜♦️⬜
🟠♦️🟡वैशाली राऊत सहज सुचलं गृप नागपूर◻️◻️◻️◻️
सुवर्ण भारत:किरण घाटे(उपसंपादक)
🟡◻️हमेशा मेरे आसपास
रहते हो तुम यादों मे
कभी आकर भी मिलो
बारिश के इस मौसम मे l
🟡◻️यादो से निकल कर
हकीकत मे आ जाओ
देखने दो जी भर के
जरा नीगाहे तो मिलाओ l
🟡◽बारिश की बुंदे बरस तेही
झंकार दिल में बजती है
तेरे आने की जैसे
आहट सूनायी देती है l
🟠◻️इंतजार मे तुम्हारे जाने
कब सावन बरसेंगा
राह तकते तकते
कब तक मन तरसेंगा l